.." ब्लॉगर-टिप्स-एंड-ट्रिक "
कंप्यूटर पर टाइप करना कोई फार्म बनाना अथवा दूसरे शब्दों में कहें तो किसी ऑफिस सॉफ्टवेयर्स चाहे वह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस हो अथवा ओपन ऑफिस सॉफ्टवेयर हो, उस में हम आप काम नही करते , सारे तकनीकी कार्य तो सोफ्टवेयर स्वयं करता , हम-आप तो मात्र उसमें दी गई सुविधाओं का उपयोग-उपभोग......" ब्लॉगर टिप्स एंड ट्रिक "
'' ज्योतिष्य -विज्ञान का अध्ययन - 1 '' [[ ए स्टडी इन ज्योतिष्य विज्ञानं ]] " जातकी - ज्योतिष्य का कार्य- आधार क्या है " [[ The Basis of Personal -Horoscopy ]] आईये अब ज्योतिष्य-विज्ञानं का अध्ययन आरंभ करते हैं |सर्वप्रथम मैं ही आप की ओर से एक प्रश्न हवा में उछलता हूँ ,:-- " जातकी - ज्योतिष्य का कार्य- आधार क्या है "? उत्तर तो मुझे ही देना हैं ! वास्तव में जो जातकी- ज्योतिष्य का का कार्य - आधार है वही सम्पूर्ण ज्योतिष्य का कार्य-आधार भी है | किसी विशिष्ट काल-खंड या समय पर ,यथा ''किसी के जन्म - समय पर '' जन्म-स्थान से सुदूर अन्तरिक्ष में देखने पर किसी पूर्व निर्धारित विन्दु जो ज्योतिष्य में '' भचक्र अथवा राशिः - चक्र '' कहा गया है '' , के सापेक्ष नौ [ 9 ] ज्योतिषीय ग्रह जिस -जिस राशिः की सीध में दिखें उस ग्रह को तात्कालिक रूप से उसी राशिः में स्थित मान कर , तथा उस स्थान- विशेष [[ जो यहाँ पर जन्म-स्थान कहा गया है ]] के सटीक ''गणितीय '' पूर्वीय-क्षितिज [[ Horizen ]] पर राशिः- चक्र [12 राशियों के चक्र ] की जो भी राशिः उदित हो रही होती है उसे केन्द्र बना अर्थात आरम्भिक बिन्दु [[ लग्न या Ascendant ]] मान , बारह [ 12 ] विभागों का ,जिसमें हर विभाग को '' भाव '' कहते हैं , एक चक्र बना कर और लग्न को प्रथम भाव मानते कर ही भूत - भविष्य - वर्तमान की संभावनाओं का आकलन करने पर प्राप्त अन्तिम निष्कर्षों के आधार पर फलित कहना ही जातकी - ज्योतिष्य का कार्य-आधार है | उपरोक्त से स्पष्ट है कि जातकी ज्योतिष्य एवं ज्योतिष्य के '' तीन आधार स्तम्भ है , जो क्रमशः किसी भी जन्मांग में किसी भी ग्रह की किसी स्थिति इस प्रकार बताई जाती है ,'' अमुक ग्रह ( ग्रह का नाम ) , अमुक राशिः ( राशिः का नाम ) का हो कर ,जन्म लग्न से अमुक भाव ( लग्न से गणना पर जो भाव क्रमांक आवे ) में बैठा है | अगले अंक में ज्योतिषीय ग्रहों के गुण : धर्म और कारकत्व के बारे में संक्षेप में अध्ययन करेंगे | |
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परन्तु जब से ब्लोगिंग आरंभ की तो हमेशा से ही उत्सुकता रही है कि किसी ब्लागर टेम्पलेट की संरचना कैसी होती है , उसकी कोडिंग क्या है और हम टेम्पलेट्स कोडिंग में ;
क्या ? , कैसा ? , कहाँ पर ? , कैसे परिवर्तन कर ?
, उस टेम्प्लेट को अपने लिए ज्यादा उपयोगी बना सकते है | तो फ़िर निम्न ''झरोखा '' के ''ब्यूटीफुलबीटा:ब्लोगस का लेबल ट्युटोरियल्स'' के आलेख [ beautifulbeta blog] हमारे-आप जैसों के लिए ही है :---"ज्ञान पर सभी का अधिकार " ज्ञान पर सभी का अधिकार है इस इसी सिद्धांत को स्वीकार करते हुए हारवर्ड बिजिनेस स्कूल आदि जैसी 1oo से अधिक प्रमुख्य एवं सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों तथा प्रसिद्द वीडियो -शेयरिंग वेब-साईट यूट्यूब [ youtube.com ] ने परस्पर संयुक्त - सहयोग करने का निर्णय किया है । मार्च 2009 से 'यूट्यूब ने अपनी वेब साईट पर शिक्षा अनुभाग भी आरंभ किया है । " यूट्यूब के इस अनुभाग में विज्ञान गणित संगीत एवं अन्य विभिन्न विषयों के दुनिया के शीर्ष शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के कैम्पस में विषय विशेषज्ञों शिक्षकों के द्वारा दिए गये व्याख्यानों [ लेक्चर्स ] के ज्ञान - वर्धक वीडियों उपलब्ध हैं "शीर्ष शिक्षण संस्थानों एवं यूट्यूब के इस संयुक्त अभियान के फल - स्वरुप अब आर्थिक अभावों के अथवा किसी अन्य कारणों से श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में शिक्षा न ले पाने वाले छात्र भी गुणवत्तापरक शिक्षा प्राप्त कर सकेंगें । इन शैक्षिक व्याख्यानों [ लेक्चर्स ] के वीडियो देखने हेतु यूट्यूब .कॉम [youtube.com] के मुख्य पृष्ठ पर जा कर केटेगरी [ catagry ] क्लिक कर कैटगरी खुलने पर एजुकेशन [Education] पर क्लिक कर आगे ढूंढ़ सकते है वैसे अभी होसकता है बहुत ज्यादा न मिले ,पर जरा योजना को परवान चढ़ने तो दें। |
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अगर मैं यह कहूँ कि '' सिक्ख '' पंथ इस सृष्टि का प्राचीनतम पंथ है तो आप मेरे कथन पर आश्चर्य भी प्रकट करेंगे
प्राचीनतम ''गुरु शिष्य'' परम्परा के क्रम में आज का ''सिक्ख '' पंथ अस्तित्व में आया और गुरु-शिष्य संबंधों को शाश्वत कर गया |
दशम गुरु महाराज गोविन्द सिंह जी द्वारा उसी सिक्ख -पंथ को परमार्जित कर उसी सिक्ख -पंथ के अंतर्गत खालसा-समाज का निर्माण कर सिक्खी को पूर्ण पंथ का दर्जा एवं सम्मान दिला दिया गया । उन्होंने किसी सामाजिक- मान्यता एवं परम्परा एवं समाज के पंथ बनने की प्रमुख शर्तों की पूर्ति करते हुए , अभी तक नानक शाही सिक्ख कहलाने वाले समाज को ''विधान : निशान :कमान : प्रधान : स्थान ''पाँचों लाक्षणिक - प्रमाण { अंग }दे पूर्ण पंथ बना दिया ।
- प्राचीन गुरु-शिष्य परम्परा में बताये गयी हर उस बात को मानना व पालन करना जिनका उपदेश ' गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोविन्द सिंह जी ' तक दसों गुरु दे गए हैं का अनुपालन करना प्रत्येक सिक्ख का कर्त्तव्य है । पूरे समाज को तीन अंगों में बांटा गया
{1} सिक्ख - संगत :- -उन सभी को कहा गया जो गुरु के सामान्य उपदेशों का पालन करते हुए '' ग्रन्थ साहेब '' को ग्यारहवां एवं अन्तिम गुरु मानने के अतिरिक्त इनके लिए अन्य कोई हार्ड एंड फास्ट नियम नही है जिस कारण से यदि वे ' सनातन-धर्मी नही है , तब भी सिक्ख समाज या संगत में भागीदार हो सकते हैं ,यह उन्हें अपने व्यक्तिगत धर्म के अनुपालन से नही रोकता ।
{2} "खालसा समाज :- को ही सिक्ख समाज : सिक्ख संगत का व्यवस्थापक अधिकार प्राप्त हैं '' इसी खालसा - समाज की स्थापना दसवें गुरु ,गुरु गोविन्द सिंह जी ने की थी । " इस खालसा संगत या समाज के लिए कुछ नियम निर्धारित हैं उनका पालन किया जाना अनिवार्यता है ।
{3} निहंग खालसा :--दसवें गुरु महराज ने अपने उस युग की परम्परा के अनुसार पूरे खालसा संगत के एक अंश को 'धर्म -धार्मिक -भक्तों की रक्षा हेतु नियमित सेना का रूप देकर उन्हें ' ''निहंगसिक्ख '' का नाम दिया ; ये सदैव सैनिक गणवेश में रहते हैं । { उपरोक्त तीनो तथा अन्य तथ्यों का उल्लेख मैं अपने अलग ब्लॉग में विस्तार से करूँगा }
- एक "खालसा "के लिए निर्धारित पञ्च ककार '''केश :कंघ :कड़ा :कच्छ :और :कृपाण '''ही वे प्रतीक - चिन्ह हैं जिन्हें धारण करना हर ''खालसा सिक्ख ''के लिए अनिवार्य होता है । एक पूर्ण सिक्ख गुरुद्वारे में गुरु -ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष अमृत पान कर पांचो प्रतीक ककार ग्रहण कर खालसा सजता है । कोई भी सिख उपरोक्त पञ्च ककार धारण करने के लिए स्वतन्त्र तो है , परन्तु जब तक वह ग्रन्थ-साहेब को साक्षी मान पञ्च - प्यारों प्रदत अमृत - पान नही करता वह खालसा कहलाने अधिकारी नही हो सकता । यहाँ तक स्वयं खालसा-पंथ के प्रवर्तक श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने भी नियमों एवं परम्परा का पालन किया '' प्रथम पञ्च -प्यारों को अमृत छकाने के बाद उन्होंने उन उनके हाथ से अमृत -पान खालसा साज सजाया था ।
स्टेम - सेल्स आधार कोशिकाओं अथवा ''स्टेम-सेल्स '' की खोज सम्भवतः इस शताब्दी की उतनी ही महानतम खोज है जितनी विद्युत् -ऊर्जा एवं परमाणु - ऊर्जा की खोजें रही हैं । आशा है कि '' स्टेम-सेल्स '' विज्ञानिकी का अभिर्भाव ,चिकित्सा विज्ञानं की रूप-रेखा अथवा उसे पूर्णतया ही बदल के रख देंगे । इस सब से पहले यह जानना जरुरी है कि स्टेम -सेल्स क्या हैं ? किसी भी पेड़ या पौधे के बीज से सबसे पहले '' तने :: स्टेम { Stem } '' का अभिर्भाव होता है और फ़िर इसी तने [stem ] से पेड़ का अस्तित्व शुरू होता है ; स्टेम { तने } से डालियाँ ,टहनियां ,पत्तियां और फल- फूल तथा बीज उत्पन्न हो कर एक नया पेड़ बनता है ; उसी प्रकार आधार- कोशिकाएं वे कोशिकाएं हैं जिनसे जीवधारियों के शरीर के आतंरिक एवं बाह्य सभी अंगों का निर्माण होता है , इसी कारण से इन्हे " स्टेम - सेल्स { Stem- Cells } " कहा गया है । मूलतः ये जीवधारी के गर्भ में स्थित '' भ्रूणीय - कोशिकाओं " की ' ब्लास्टोसिस ' अवस्था होती है , जो भ्रूणीय -कोशिकाओं के चौथे दिन के बाद से आरंभ हो पांचवे से लेकर सातवें दिन के मध्य होती है । इसी ब्लास्टोसिस अवस्था के कारण इन्हे कोशिकाओं की '' ब्लोस्टोमा '' अवस्था भी कहा जाने लगा है । विस्तार से पढ़ें .... |
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और प्रतीक्षा करें अस्पतालों में ऑपरेशंस के स्थान पर क्षति ग्रस्त अंगों के उगाने के लिए भरती होने का ,तब शायद गरीब मजदूरों की किडनिया धोखे से निकालने का धंधा बंद हो जाए ! पर स्मैकिये खून भी नही बेच पाएंगे । और शायद कोई अनिल कपूर की किडनी बेच कर बहन { किसी उत्पल दत्त की बेटी भी हो सकती है } की शादी करने का महान त्याग-पूर्ण रोल नही कर पाएंगे ? उन गरीबों की बहन-बेटियों का क्या होगा ? क्यों कि निकट भविष्य में मुझे ऐसी सामाजिक क्रांति कि संभावना नही दिखाई देती कि समाज इनका उत्तरदायित्व उठाने लगे गा या समाज में ऐसी परिस्थितियां उतपन्न हो जाएँगी कि धनाभाव में बहन बेटियों की शादियाँ नही रुकेंगी ????????????????!!!!!!!!!!!!!!