'' ज्योतिष्य -विज्ञान का अध्ययन - 1 ''
[[ ए स्टडी इन ज्योतिष्य विज्ञानं ]]
" जातकी - ज्योतिष्य का कार्य- आधार क्या है "
[[ The Basis of Personal -Horoscopy ]]

आईये अब ज्योतिष्य-विज्ञानं का अध्ययन आरंभ करते हैं |सर्वप्रथम मैं ही आप की ओर से एक प्रश्न हवा में उछलता हूँ ,:--

" जातकी - ज्योतिष्य का कार्य- आधार क्या है "?
उत्तर तो मुझे ही देना हैं !

वास्तव में जो जातकी- ज्योतिष्य का का कार्य - आधार है वही सम्पूर्ण ज्योतिष्य का कार्य-आधार भी है |

किसी विशिष्ट काल-खंड या समय पर ,यथा ''किसी के जन्म - समय पर '' जन्म-स्थान से सुदूर अन्तरिक्ष में देखने पर किसी पूर्व निर्धारित विन्दु जो ज्योतिष्य में '' भचक्र अथवा राशिः - चक्र '' कहा गया है '' , के सापेक्ष नौ [ 9 ] ज्योतिषीय ग्रह जिस -जिस राशिः की सीध में दिखें उस ग्रह को तात्कालिक रूप से उसी राशिः में स्थित मान कर , तथा उस स्थान- विशेष [[ जो यहाँ पर जन्म-स्थान कहा गया है ]] के सटीक ''गणितीय '' पूर्वीय-क्षितिज [[ Horizen ]] पर राशिः- चक्र [12 राशियों के चक्र ] की जो भी राशिः उदित हो रही होती है उसे केन्द्र बना अर्थात आरम्भिक बिन्दु [[ लग्न या Ascendant ]] मान , बारह [ 12 ] विभागों का ,जिसमें हर विभाग को '' भाव '' कहते हैं , एक चक्र बना कर और लग्न को प्रथम भाव मानते कर ही भूत - भविष्य - वर्तमान की संभावनाओं का आकलन करने पर प्राप्त अन्तिम निष्कर्षों के आधार पर फलित कहना ही जातकी - ज्योतिष्य का कार्य-आधार है |
उपरोक्त से स्पष्ट है कि जातकी ज्योतिष्य एवं ज्योतिष्य के '' तीन आधार स्तम्भ है , जो क्रमशः
[ 1 ] नौ ( 9 ) ज्योतिषीय ग्रह ,[ 2 ] बारह ( 12 ) भावों का भाव चक्र जिसमें लग्न प्रथम भाव होता है तथा
[ 3 ] बारह ( 12 ) राशियों का भचक्र या राशिः चक्र ;


किसी भी जन्मांग में किसी भी ग्रह की किसी स्थिति इस प्रकार बताई जाती है ,'' अमुक ग्रह ( ग्रह का नाम ) , अमुक राशिः ( राशिः का नाम ) का हो कर ,जन्म लग्न से अमुक भाव ( लग्न से गणना पर जो भाव क्रमांक आवे ) में बैठा है |

अगले अंक में ज्योतिषीय ग्रहों के गुण : धर्म और कारकत्व के बारे में संक्षेप में अध्ययन करेंगे |

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कंप्यूटर पर टाइप करना कोई फार्म बनाना अथवा दूसरे शब्दों में कहें तो किसी ऑफिस सॉफ्टवेयर्स चाहे वह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस हो अथवा ओपन ऑफिस सॉफ्टवेयर हो, उस में हम आप काम नही करते , सारे तकनीकी कार्य तो सोफ्टवेयर स्वयं करता , हम-आप तो मात्र उसमें दी गई सुविधाओं का उपयोग-उपभोग करते हैं |
परन्तु जब से ब्लोगिंग आरंभ की तो हमेशा से ही उत्सुकता रही है कि किसी ब्लागर टेम्पलेट की संरचना कैसी होती है , उसकी कोडिंग क्या है और हम टेम्पलेट्स कोडिंग में ;

क्या ? , कैसा ? , कहाँ पर ? , कैसे परिवर्तन कर ?

, उस टेम्प्लेट को अपने लिए ज्यादा उपयोगी बना सकते है | तो फ़िर निम्न ''झरोखा '' के ''ब्यूटीफुलबीटा:ब्लोगस का लेबल ट्युटोरियल्स'' के आलेख [ beautifulbeta blog] हमारे-आप जैसों के लिए ही है :---


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"ज्ञान पर सभी का अधिकार "
ज्ञान पर सभी का अधिकार है इस इसी सिद्धांत को स्वीकार करते हुए हारवर्ड बिजिनेस स्कूल आदि जैसी 1oo से अधिक प्रमुख्य एवं सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों तथा प्रसिद्द वीडियो -शेयरिंग वेब-साईट यूट्यूब [ youtube.com ] ने परस्पर संयुक्त - सहयोग करने का निर्णय किया है ।

मार्च 2009 से 'यूट्यूब ने अपनी वेब साईट पर शिक्षा अनुभाग भी आरंभ किया है ।

" यूट्यूब के इस अनुभाग में विज्ञान गणित संगीत एवं अन्य विभिन्न विषयों के दुनिया के शीर्ष शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के कैम्पस में विषय विशेषज्ञों शिक्षकों के द्वारा दिए गये व्याख्यानों [ लेक्चर्स ] के ज्ञान - वर्धक वीडियों उपलब्ध हैं "

शीर्ष शिक्षण संस्थानों एवं यूट्यूब के इस संयुक्त अभियान के फल - स्वरुप अब आर्थिक अभावों के अथवा किसी अन्य कारणों से श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में शिक्षा न ले पाने वाले छात्र भी गुणवत्तापरक शिक्षा प्राप्त कर सकेंगें । इन शैक्षिक व्याख्यानों [ लेक्चर्स ] के वीडियो देखने हेतु यूट्यूब .कॉम [youtube.com] के मुख्य पृष्ठ पर जा कर केटेगरी [ catagry ] क्लिक कर कैटगरी खुलने पर एजुकेशन [Education] पर क्लिक कर आगे ढूंढ़ सकते है वैसे अभी होसकता है बहुत ज्यादा न मिले ,पर जरा योजना को परवान चढ़ने तो दें।

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अगर मैं यह कहूँ कि '' सिक्ख '' पंथ इस सृष्टि का प्राचीनतम पंथ है तो आप मेरे कथन पर आश्चर्य भी प्रकट करेंगे
प्राचीनतम ''गुरु शिष्य'' परम्परा के क्रम में आज का ''सिक्ख '' पंथ अस्तित्व में आया और गुरु-शिष्य संबंधों को शाश्वत कर गया |

  • '' सिक्ख पंथ'' का उद्भव प्रथम गुरु - महाराज '' गुरु नानक देव जी '' [१४६९-१५३९] के
  • जीवन काल में ही होगया था जो अगले आठ गुरुओं के जीवन काल के साथ परवान चढ़ता रहा और नवे बादशाह गुरु तेग बहादुर जी महाराज जी के जीवन काल में इतनी ऊँचाई तक पहुँच गया कि समाज के सताए हुए लोग उनके द्वारे '''त्राहि-माम् ;; त्राहि-माम् ''' करते हुए पहुँचने लगे थे, और उन्हों ने भी शरणागतों को निराश नही किया ; ''' उनकी रक्षा हेतु अपना बलिदान दे ; अपना शीश दे समाज में त्याग और धर्म का मर्म स्थापित किया '''|
  • दशम गुरु महाराज गोविन्द सिंह जी द्वारा उसी सिक्ख -पंथ को परमार्जित कर उसी सिक्ख -पंथ के अंतर्गत खालसा-समाज का निर्माण कर सिक्खी को पूर्ण पंथ का दर्जा एवं सम्मान दिला दिया गयाउन्होंने किसी सामाजिक- मान्यता एवं परम्परा एवं समाज के पंथ बनने की प्रमुख शर्तों की पूर्ति करते हुए , अभी तक नानक शाही सिक्ख कहलाने वाले समाज को ''विधान : निशान :कमान : प्रधान : स्थान ''पाँचों लाक्षणिक - प्रमाण { अंग }दे पूर्ण पंथ बना दिया

    • प्राचीन गुरु-शिष्य परम्परा में बताये गयी हर उस बात को मानना पालन करना जिनका उपदेश ' गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोविन्द सिंह जी ' तक दसों गुरु दे गए हैं का अनुपालन करना प्रत्येक सिक्ख का कर्त्तव्य है । पूरे समाज को तीन अंगों में बांटा गया

    {1} सिक्ख - संगत :- -उन सभी को कहा गया जो गुरु के सामान्य उपदेशों का पालन करते हुए '' ग्रन्थ साहेब '' को ग्यारहवां एवं अन्तिम गुरु मानने के अतिरिक्त इनके लिए अन्य कोई हार्ड एंड फास्ट नियम नही है जिस कारण से यदि वे ' सनातन-धर्मी नही है , तब भी सिक्ख समाज या संगत में भागीदार हो सकते हैं ,यह उन्हें अपने व्यक्तिगत धर्म के अनुपालन से नही रोकता ।

    {2} "खालसा समाज :- को ही सिक्ख समाज : सिक्ख संगत का व्यवस्थापक अधिकार प्राप्त हैं '' इसी खालसा - समाज की स्थापना दसवें गुरु ,गुरु गोविन्द सिंह जी ने की थी । " इस खालसा संगत या समाज के लिए कुछ नियम निर्धारित हैं उनका पालन किया जाना अनिवार्यता है ।

    {3} निहंग खालसा :--सवें गुरु महराज ने अपने उस युग की परम्परा के अनुसार पूरे खालसा संगत के एक अंश को 'धर्म -धार्मिक -भक्तों की रक्षा हेतु नियमित सेना का रूप देकर उन्हें ' ''निहंगसिक्ख '' का नाम दिया ; ये सदैव सैनिक गणवेश में रहते हैं । { उपरोक्त तीनो तथा अन्य तथ्यों का उल्लेख मैं अपने अलग ब्लॉग में विस्तार से करूँगा }

    • एक "खालसा "के लिए निर्धारित पञ्च ककार '''केश :कंघ :कड़ा :कच्छ :और :कृपाण '''ही वे प्रतीक - चिन्ह हैं जिन्हें धारण करना हर ''खालसा सिक्ख ''के लिए अनिवार्य होता है एक पूर्ण सिक्ख गुरुद्वारे में गुरु -ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष अमृत पान कर पांचो प्रतीक ककार ग्रहण कर खालसा सजता है कोई भी सिख उपरोक्त पञ्च ककार धारण करने के लिए स्वतन्त्र तो है , परन्तु जब तक वह ग्रन्थ-साहेब को साक्षी मान पञ्च - प्यारों प्रदत अमृत - पान नही करता वह खालसा कहलाने अधिकारी नही हो सकता । यहाँ तक स्वयं खालसा-पंथ के प्रवर्तक श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने भी नियमों एवं परम्परा का पालन किया '' प्रथम पञ्च -प्यारों को अमृत छकाने के बाद उन्होंने उन उनके हाथ से अमृत -पान खालसा साज सजाया था ।

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    स्टेम - सेल्स

    आधार कोशिकाओं अथवा ''स्टेम-सेल्स '' की खोज सम्भवतः इस शताब्दी की उतनी ही महानतम खोज है जितनी विद्युत् -ऊर्जा एवं परमाणु - ऊर्जा की खोजें रही हैं । आशा है कि '' स्टेम-सेल्स '' विज्ञानिकी का अभिर्भाव ,चिकित्सा विज्ञानं की रूप-रेखा अथवा उसे पूर्णतया ही बदल के रख देंगे । इस सब से पहले यह जानना जरुरी है कि स्टेम -सेल्स क्या हैं ?

    किसी भी पेड़ या पौधे के बीज से सबसे पहले '' तने :: स्टेम { Stem } '' का अभिर्भाव होता है और फ़िर इसी तने [stem ] से पेड़ का अस्तित्व शुरू होता है ; स्टेम { तने } से डालियाँ ,टहनियां ,पत्तियां और फल- फूल तथा बीज उत्पन्न हो कर एक नया पेड़ बनता है ; उसी प्रकार आधार- कोशिकाएं वे कोशिकाएं हैं जिनसे जीवधारियों के शरीर के आतंरिक एवं बाह्य सभी अंगों का निर्माण होता है , इसी कारण से इन्हे " स्टेम - सेल्स { Stem- Cells } " कहा गया है । मूलतः ये जीवधारी के गर्भ में स्थित '' भ्रूणीय - कोशिकाओं " की ' ब्लास्टोसिस ' अवस्था होती है , जो भ्रूणीय -कोशिकाओं के चौथे दिन के बाद से आरंभ हो पांचवे से लेकर सातवें दिन के मध्य होती है । इसी ब्लास्टोसिस अवस्था के कारण इन्हे कोशिकाओं की '' ब्लोस्टोमा '' अवस्था भी कहा जाने लगा है ।
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    और प्रतीक्षा करें अस्पतालों में ऑपरेशंस के स्थान पर क्षति ग्रस्त अंगों के उगाने के लिए भरती होने का ,तब शायद गरीब मजदूरों की किडनिया धोखे से निकालने का धंधा बंद हो जाए ! पर स्मैकिये खून भी नही बेच पाएंगे । और शायद कोई अनिल कपूर की किडनी बेच कर बहन { किसी उत्पल दत्त की बेटी भी हो सकती है } की शादी करने का महान त्याग-पूर्ण रोल नही कर पाएंगे ? उन गरीबों की बहन-बेटियों का क्या होगा ? क्यों कि निकट भविष्य में मुझे ऐसी सामाजिक क्रांति कि संभावना नही दिखाई देती कि समाज इनका उत्तरदायित्व उठाने लगे गा या समाज में ऐसी परिस्थितियां उतपन्न हो जाएँगी कि धनाभाव में बहन बेटियों की शादियाँ नही रुकेंगी ????????????????!!!!!!!!!!!!!!
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    चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी">चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी" title="चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी" खबरदार ख़बर "मैयो इब मैं चंद्र-खिलौनों नाही ................................................................पूरो चन्द्रो लूंगो "
    <> ० श्री हरिकोटा ,अन्तरिक्ष केन्द्र ,आन्ध्र प्रदेश [पूर्वी तट ] भारत वर्ष /
    ० दिन बुद्धवार 22 अक्तूबर 2008 भारतीय समय प्रातः 6 बज कर 22 मिनट ||
    <>० भारत का पहला मानव-रहित " नक्शेबाज " चंद्रयान-प्रथम {मेरे द्वारा नामकरण " पुष्य " } चन्द्रमा के सफर पर रवाना ; अठारह दिनों बाद लक्ष्य पर पहुंचेगा || <> ० चंद्रयान पर लागत लगभग 3.86 अरब रु० से अधिक आई है ० यात्रा अवधि न्यूनतम 18 दिन ;यात्रा की तैयारियों में लगा समय चार वर्ष लगभग ० यात्रा वाहन राकेट पी.एस .एल.वी. 11 पूर्णतः स्वदेशी ० क्रिया-शील आयु , दो वर्षों से अधिक की सम्भावना ० सौर-ऊर्जा से संचालित चंद्रयान का भार 1380 किलोग्राम <> ० चांद्रयान पर पाँच भारतीय ,तीन यूरोपीय ,दो अमेरिकी तथा एक बुल्गारियन कुल ग्यारह [ 11]
    यांत्रिक यात्री सावार [पे-लोड ; वैज्ञानिक उपकरण ]

    ऐ चाँद अब हम आतें हैं

    औरों ने तो बिन्दु छुए
    हम पूरे चाँद पर छाते है ||

    ऐ चाँद अब हम आतें हैं ||
    =================================================================================
    क्यों की पुष्य नक्षत्र में चंद्रयान का प्रक्षेपण हुआ है इसी कारण से पुष्य नामकरण मेरे द्वारा किया गया है ||
    भारत का चन्द्रमा अभियान अन्य देशों से इस अर्थ में अलग होगा कि अन्य देश अभी तक केवल चन्द्रमा के किसी विशिष्ट बिन्दु या क्षेत्र विशेष पर ही अपने को केंद्रित रखते रहे हैं ;जब कि इसरो के अध्यक्ष श्री माधवन नायर के कथनानुसार चंद्रयांन-एक चन्द्रमा के पूरे धरातल का चित्र \\ नक्शा बनाएगा [इसी कारण से मैंने शुरू में ही इसे " नक्शेबाज़ " कहा है ] इस आभियान की सफलता अन्तरराष्ट्रीय विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को बाहुत ज्यादा बढ़ा देगी ||
    खबर="पुछल्ला "===> माहोली के के मैदान में भारतीय 'टाईगर्स ' ने ' कंगारुओं ' को धराशायी करते हुए झिंझोड़ कर रख दिया || आर्थिक ' रिंग ' से>>>>>
    ० करें जतन कोई , रेल माल ढुलाई को मन्दी मार लगा गयी \\
    ० सोना सो गया ,चांदी चक्करा गयी मन्दी मार लगा गयी \\
    ० पी. एफ. का पैसा लगेगा बाज़ार में मन्दी मार लगा गयी \\
    ० अभी मोटापा ना आयेगा तेल की धार में मन्दी मार लगा गयी \\
    ० काम ना आया ' रेपो-रेट ' सेंसेक्स उल्टी गुलाटी खा गयी मन्दी मार लगा गयी \\
    ० बैठिये महिन्द्रा की हाईब्रिड स्कार्पियो कार में मंदी मार ...........?????
    राजनीति के मैदान से ::=== >० संसद में विपक्ष के नेता श्री लाल कृष्ण अडवानी ने सभी भाजपाई सांसदों निर्देशित किया कि वे पाँच राज्यों के विधान सभा चुनावों में जुटें | जिनके राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वे तो अपने अपने राज्यों में लगेगें ही ,और जिन राज्यों में चुनाव नही होरहे हैं वे भी इसे आगामी लोक-सभा चुनावों का पूर्वाभ्यास मान कर इसमें जुट जाएँ |
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    ===================================================================आगे की
    द्वितीय प्रवाह
    चंद्र यान -१ की कक्षा में पहला संशोधन बृहस्पति 23 अक्टोबर 2008 को किया गया | 440 न्यूटन द्रव्य इंजन को 18 मिनट चला कर चंद्रक की पृथ्वी की कक्षा के दूरस्थ बिन्दु [अपोजी ] को उड़ान के बाद की आरंभिक स्थिति 22860 किलो मीटर से बदल कर 37900 किलो मीटर तथा कक्षा के निकटतम बिन्दु [ पेरिजी] को बदल कर 225 से 305 किलो मीटर कर दिया गया | पहली कक्षा में चंद्रक [चंद्र यान - ] को पृथ्वी की परिक्रमा कराने में जहाँ लगभग सादे छः घंटे लगा रहे थे ,वहीं अब लगभग 11 घंटों का समय लगेगा || आने वाले दिनों में जैसे जैसे चन्द्रक ,चन्द्रमा की ओर बढ़ता जाएगा इसकी कक्षा एवं गति में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किये जाते रहेंगे ,यान में लगे सभी व्यवस्थाएं एवं यंत्र सही ढंग से कार्य कर रहे हैं || ****************-----------------------------------------------*********-----------------------------------------************** चंद्रक यान के पीछे की जोरदार खबरें >>>>>> देश प्रेम के महान उदाहरण के रूप में इस चंद्र यान मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों के "जज्बे को सलाम'" === इस योजनासे जुड़े के कई वैज्ञानिकों ने "कुछ हजार की सरकारी नौकरी " करते हुए राष्ट्र के गौरव इस मिशन से जुड़े रहने को अपना धर्म समझ ते हुए , इस बीच अपने सामने आए ५०-५० :: १००-१०० गुना अधिक वेतन के विदेशियों द्वारा कई -कई बार दिए गए प्रस्तावों को ठुकरा दिया | [सौजन्य से :- अमरउजाला दैनिक ,इलाहाबाद ] अगर हम भारत के अन्तरिक्ष-यान शोध ,विशेष रूप से चंद्र -यान- मिशन की तुलना नासा ,रुसी , यूरोपीय ,चीन आदि के अभियानों से करते हैं तो पाते हैं कि जहाँ उनके अभियान पर खरबों डालर व्यय हुए हैं ,वहीं भारत ने मात्र दो जेट विमानों की कीमत जो लगभग पौने चार अरब रूपये होंगे ; में अपना चंद्र यान चन्द्रमा की ओर रवाना कर दिया जिसके अभी तक के सभी चरण योजनानुसार सफल रहे हैं | यह अब तक का सबसे सस्ता अन्तरिक्ष मिशन माना जा रहा है ,भारत ने भी पहली बार पृथ्वी की कक्षा से से बाहर निकल कर दूर अंतरिक्ष में किसी अन्य ग्रह की कक्षा में [चन्द्रमा को उपग्रह माना जाता है ] अपने उपग्रह-यान को स्थापित कराने का प्रयत्न किया है \\ यह भारत के वैज्ञानिकों की योग्यता के प्रति विश्वास की पराकाष्ठा ही है कि भारत का अनजाने खतरों से भरा पहला सबसे लम्बा - अंतरिक्ष अभियान फ़िर भी चंद्र यान में यूरोप के तीन ,अमेरिका के दो बुलगारिया के एक यानी छः , भारत के पाँच को छोड़ कर अर्थात कुल ११ यांत्रिक यात्री चंद्रक पर सवार हैं | खर्च बचाने के लिए भारत ने बड़े खिलाड़ियों द्वारा पुरानी घोषित कि जा चुकी स्पिन लैंडिंग प्रणाली का उपयोग इसमे किया है |
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